Friday, June 17, 2011

अभियान

देश-प्रेम के भरल भाव सँ, नित निर्माण करय छी।
सहज-भाव सँ संविधान के, हम सम्मान करय छी।
तखनहुँ पिछड़ल कियै हमर मिथिला, पूछय छी हम दिल्ली सँ।।

सड़क,रेल,बिजली जुनि पूछू, बाढ़ भेल सौभाग्य हमर।
बिनु विद्यालय पढ़य नञि बच्चा, छी बड़का दुर्भाग्य हमर।
आजादी सँ भेटल की हमरा? सब किछु ध्यान धरय छी।
बिना विकासक कष्ट मे रहितहुँ, राष्ट्रक गान करय छी।
तखनहुँ पिछड़ल कियै हमर मिथिला, पूछय छी हम दिल्ली सँ।।

सब चुनाव के बेर मे पूछथि, बाकी सब दिन रहता कात।
सुनि-सुनि आजिज छी हम सब, हुनकर सभहक मीठका बात।
एक अंग भारत के मिथिला, भूखल प्राण तजय छी।
सहनशीलता हमर एहेन जे, एखनहुँ मान रखय छी।
तखनहुँ पिछड़ल कियै हमर मिथिला, पूछय छी हम दिल्ली सँ।।

हरेक साल मिथिलावासी मिलि, जाय छी जेना बाबाधाम।
तहिना चलू एक बेर संसद, किछु नञि किछु भेटत परिणाम।
उन्नत मिथिला के खातिर हम, अभियान कहय छी।
राष्ट्र-भक्ति मे मिलिकय श्रद्धा-सुमन प्रदान करय छी।
तखनहुँ पिछड़ल कियै हमर मिथिला, पूछय छी हम दिल्ली सँ।।

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