फागुन मौसम के श्रृंगार,
सगरे फगुआक गीत संग ढोल बजैया।
घर मे पिया बिनु कनिया किलोल करैया।।
पावनि बीतल एक साल के,
तखनहिं फगुआ आबय।
कहियो बोल फुटल नहि जिनकर,
सेहो गीत सुनाबय।
साँचो, फगुनक दिन अनमोल लगैया
घर मे पिया बिनु -----
पूआ आओर पकवान बनाकऽ,
साँचो, फगुनक दिन अनमोल लगैया
घर मे पिया बिनु -----
पूआ आओर पकवान बनाकऽ,
सबकेँ खूब खुवेलहुँ।
एखनहुँ आँखि लगल देहरी पर,
एखनहुँ आँखि लगल देहरी पर,
मुदा अहाँ नहिं एलहुँ।
खेलहुँ किछुओ तऽ कबकब ओल लगैया।
घर मे पिया बिनु -----
बिनु जोड़ी के फागुन फीका,
खेलहुँ किछुओ तऽ कबकब ओल लगैया।
घर मे पिया बिनु -----
बिनु जोड़ी के फागुन फीका,
हरेक साल चलि आबू।
लोक-वेद आ हमरो संग मे,
लोक-वेद आ हमरो संग मे,
फगुआ खूब खेलाबू।
पिया, सुमन अहाँ केँ बकलोल कहैया।
घर मे पिया बिनु -----
पिया, सुमन अहाँ केँ बकलोल कहैया।
घर मे पिया बिनु -----