Wednesday, March 28, 2012

कियै कानय छी

भेटेय छै फल अपन कर्मक जखन मानय छी
फुटल नसीब तखन कहिकय कियै कानय छी

खेलहुँ नय नीक-निकुत कहियो ककर दोष कहू
खाय छी कूटि केँ ओतबे नित लूटि आनय छी

रहल छी साल कतेक संगे आबो चीन्ह लियऽ
बुझिकय खाट कियै हमरा नित गतानय छी

लोक मे पानि भऽ रहल कम आओर दुनिया मे
आँखि के नोर सँ नित आटा हमहुँ सानय छी

लगल छी रोज प्रशंसा मे जिनका टाका छै
हुनक खराब छलय नीयत जखन जानय छी

बूढ़ केँ ज्ञान बिसरि कहलहुँ बोझ भऽ गेला
मोन सँ सोचि कहू हुनका के गुदानय छी

टूटल प्रतिज्ञा सुमन जखने तखन हूब घटल
करू प्रयास खूब मन सँ किछुओ ठानय छी

1 comment:

  1. श्यामल
    आशीर्वाद
    लोक मे पानि भऽ रहल कम आओर दुनिया मे
    आँखि के नोर सँ नित आटा हमहुँ सानय छी
    कथा व्यथा है जीवन की
    व्याख्याके लिए धन्यवाद

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