Wednesday, September 5, 2012

विद्यार्थी = जे विद्याक अरथी उठाबय

सब साल जेकाँ एहियो साल शिक्षक दिवस बीत गेल। एकटा आओर अघोषित छुट्टीक दिन शिक्षकगण हेतु। महान शिक्षा-शास्त्री डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीक जन्म दिवस आ जिनक जीवन यात्रा एक शिक्षकक के रूप मे शुरू भेल आ देशक सर्वोच्च पद राष्ट्रपति तक पहुँचल। हुनके सम्मान मे ई शिक्षक दिवस प्रतीकात्मक रूप मे मनाओल जाइत अछि। आजादीक संघर्ष सँ निकलल ताहि दिनक शासक-वर्गक स्पष्ट धारणा रहन्हि जे एहेन महापुरुषक जीवन-वृत्त केँ स्मरण केला सँ छात्र समेत आओर लोक केँ प्रेरणा भेटतय। मुदा आजुक स्थिति देखि की हम कहि सकय छी जे की वो पवित्र उद्येश्य पूर्ण भऽ रहल अछि?

गजानन बाबू अपना समय केर एक अभूतपूर्व शिक्षक जे एखन भूतपूर्व भऽ गेल छथि। साँझक समय गामक चौपाल मे एनाय आ हुनका सँ गप्प केनाय सँगहिं गजानन बाबू द्वारा प्रयोजित चाय आ तमाकू खेनाय  गामक लोकक प्रायः नियमित दिनचर्या। गजानन बाबू आन दिनक अपेक्षा आय किछु उदास रहथि। लोक पूछय लागलखिन्ह तऽ बजलाह - की कहू? आजुक शिक्षा व्यवस्था मे भेल पतन सँ मोन कने खिन्न अछि। पहिलुका समय मे शिक्षक खाली किताबेटाक ज्ञान-दान नहि करैत रहथिन्ह बल्कि नैतिक, सामाजिक शिक्षा सँ हुनक सरोकार सेहो रहन्हि। शिक्षक - छात्रक बीच एक अद्भुत आत्मीयताक सम्बन्ध सेहो रहय पिता - पुत्रवत्। छात्र अथवा छात्रक अभिभावक द्वारा विद्यालय आ विद्यालय सँ बाहर सेहो शिक्षकक ओतबे मान-सम्मान सामान्य बात छल। कतेक बेर एहनो देखने छी जे यदि धिया-पुता घर मे बेसी उचृंखल बनय तऽ अभिभावक ई कहि शासन करैत रहथिन्ह जे "चलऽ काल्हि मास्टर साहेब सँ तोहर शिकायत करबौ" आ बच्चा शांत। गामक कुनु भोज-भात मे विद्यालय के सब शिक्षक स्थायी रूपें आमंत्रित रहथि सँगहिं यदि शिक्षक गाम तरफ आबथि तऽ धिया-पुता सँ अभिभावक तक अपन जगह ठाढ़ भऽ हुनका सम्मान दैत रहथिन्ह।

मुदा एखन? गजानन बाबू अपना बात केँ आगाँ बढ़बैत बजलाह - सरकारी आदेश - जे विद्यार्थी केँ मरनाय पीटनाय कानूनी अपराध मानल जायत। यानि डर खतम। सरकारी उपेक्षाक कारणे मासक मास शिक्षकक वेतन बन्द। तेसर बात शिक्षकगणक मुख्य सरकारी कार्य - मनुखक जनगणना, पशुक जनगणना, मकानक गणना, चुनाव करेनाय, स्कूल मे खाना बनबेनाय आदि आदि रहि गेल अछि यानि पढ़ाय छोड़िकय आओर सबकिछु। नीति-श्लोक आ नैतिक शिक्षा पाठ्यक्रम बाहर भऽ गेल आ "सेक्स" पढ़ाबय के बात सरकारी स्तर पर होमय लागल। हे भगवान्! परिणाम?  आय-काल्हि हाले एकदम विचित्र भऽ गेल अछि। एके पानक दोकान पर एक्के समय मे मास्टर साहेब आ विद्यार्थी पान - सिगरेटक सेवन करय छथि। कतेक बेर तऽ इहो सुनय मे आबय अछि जे संगे संग मद्य सेवन सेहो करय छथि। गुरू - शिष्य परम्पराक अन्ते भऽ गेल। परिणाम स्वरूप आब विद्यार्थिये शिक्षक केँ धमकाबय लागल। कनिये टा मत-मतान्तर भेला सँ शिक्षकक विरोध मे स्कूलक गेट बन्द आ नाराबाजी शुरू।

चौपाल मे सब मंत्र-मुग्ध भऽ सुनैत रहथि।  गजानन बाबू पुनः बाजब शुरु केलन्हि - विद्यालय शब्दक अर्थ होइत अछि - विद्या + आलय यानि विद्याक घर आ विद्यार्थी शब्दक अर्थ विद्या + अर्थी यानि विद्याक उपार्जन करनिहार। मुदा आजुक समय मे अर्थ बदलि गेल। आय काल्हि विद्यालय = विद्या + लय यानि जाहिठाम विद्या पूर्णरूपेण लय भऽ जाय अर्थात् मट्टी मे मिल जाय आ विद्यार्थी = विद्या + अरथी अर्थात् जे विद्याक अरथी उठाबय। ठीके आजुक समय मे विद्याक अरथीये ऊठि रहल अछि। गजानन बाबूक विवेचना सँ सब अचंभित भऽ सोचय लऽ मजबूर भऽ गेलाह।

1 comment:

  1. स्यामल
    तने
    नीक अछि लेख
    धिया पुता सँ अभिभावक तक अपन जगह ठाढ़ भऽ हुनका सम्मान दैत रहथिन्ह।
    असीरबाद

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